IIT ग्रैजुएट ने नौकरी छोड़ शुरू किया देसी मुर्गी का बिजनेस, हर महीने ₹1 करोड़ से ज्यादा का कारोबार
Success Story: स्टार्टअप ने Retail Meat Sector में एक बेंचमार्क बनाया है. आज हर महीने ₹1 करोड़ से ज्यादा का कारोबार हो रहा है.
(Image- ICAR)
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Success Story: आजकल युवा अपनी जमी जमायी आराम की नौकरी छोड़कर गांव का रुख कर रहे हैं और खेती-किसानी को करियर विकल्प के तौर पर अपना रहे हैं. हैदराबाद के जी सैकेश गौड़ एक आईआईटी ग्रैजुएट हैं और उन्होंने टेक की नौकरी छोड़ देसी मुर्गियां बेचने के लिए रिटेल मीट सेक्टर में कदम रखा. गौड़ ने Retail Meat Sector में एक बेंचमार्क बनाया है, जिसने कई लोगों की चिकन खरीदने के लिए रिटेल मीट की दुकान पर जाने की धारणा को बदल दिया. आज वो हर महीने ₹1 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर रहे हैं.
ऐसे शुरू हुआ सफर
जी. सैकेश गौड़, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT BHU) से ग्रैजुएट हैं. उद्यमिता के जुनून के साथ को-फाउंडर सामी और सूरीबाबू के साथ मिलकर कंट्री चिकन को. (Country Chicken Co.) की शुरुआत की. उन्होंने अपनी टेक नौकरियां छोड़ दीं और देसी मुर्गियां (स्थानीय रूप से नाटू कोड़ी/देसी मुर्गी) के नाम से जानी जाती है, बेचने के लिए रिटेल मीट सेक्टर में कदम रखा.
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उनके इस बिजनेस में आईसीएआर-नेशनल मीट रिसर्च इंस्टीट्यूट, हैदराबाद ने एक इनकम्बेशन प्रोग्राम के माध्यम से हाइजनिक प्रोसेसिंग और रिटेलिंग यूनिट और गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस (GMPs) की स्थापना के लिए तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया है. तीनों मिलकर कंट्री चिकन फार्मिंग और रिटेलिंग को सस्टेनेबल तरीके से बदलने के लिए वर्ष 2020 में कंट्री चिकन कंपनी (Country Chicken Co.) की शुरुआत की.
इनके इनोवेटिव्स आइडिया ने एक ऐसा माहौल बनाने के बारे में सोचा है जहां एक मांस की दुकान एक सुपरमार्केट की तरह दिखती है जो एक साफ-सुथरी और गंदगी मुक्त माहौल में सभी नियामक मानकों का पालन करते हुए पौष्टिक, प्रीमियम क्वालिटी वाले देसी चिकन मांस की पेशकश करती है.
स्टार्टअप की देसी मुर्गियों ने अपने बेहतर स्वाद, न्यूट्रिशन वैल्यू और एथिकल प्रोडक्शन तकनीक के लिए प्रतिष्ठा हासिल की. जिस तरह से अंतिम उत्पाद को गिफ्ट आइटम की तरह पैक किया जाता है, उससे उन उपभोक्ताओं को बहुत आश्चर्य और संतुष्टि हुई है, जिन्हें पहले काले पॉलिथीन बैग में पैक मांस खरीदने का अनुभव था.
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15 हजार से अधिक किसान जुड़े
आईसीएआर के मुताबिक, नए और आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से उन्होंने उपभोक्ताओं को ग्रामीण समुदायों से प्राकृतिक रूप से पाले गए देसी चिकन खाने के लाभों के बारे में भी जागरूक किया. ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों से सीधे चिकन पाने वाले इस स्टार्टअप ने रोजगार के अवसर पैदा किए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दिया है. स्टार्टअप ने 15,000 से अधिक किसानों को इस इकोसिस्टम में जोड़ा है और उपभोक्ताओं को हेल्दी चिकन और अंडे की पेशकश की है.
बिजनेस
स्टार्टअप के पहले हफ्ते कंट्री चिकन कंपनी ने 13 लाख का रेवेन्यू हासिल किया. स्टार्टअप ने अब तक लगभग 25,000 ग्राहकों को सेवा दी है और विश्वसनीय और ट्रस्टेड ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्टार्टअप ने 5 करोड़ का रेवेन्यू कमाया. स्टार्टअप ने जनवरी 2022 में 3 लाख प्रति माह से अप्रैल 2023 में 1.2 करोड़ प्रति माह तक रेवेन्यू हासिल की है. कंट्री चिकन कंपनी ने वित्त वर्ष 2023-24 में 50 करोड़ रेवेन्यू हासिल करने का लक्ष्य रखा है.
03:18 PM IST